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Showing posts from 2012

क्या तब भी तुम वैसे ही इतराओगी....

तेरे चेहरे पर जब झुर्रियां होंगी और… तब जब…तुम……..आइने के सामने होगी क्या तभी भी तुम इतना ही इतराओगी...? जितना आज.... हां तब तो तुम्हारे मेकअप के सामान भी कम होंगे और तुम्हारे चाहने वाले भी तब कोई जब तुमसे तुम्हारी उम्र पूछेगा तो…….किताना झूठ बोल पाओगी क्या...उन दिनों तुमसे कोई तुम्हारी सुंदरता का राज भी नहीं………..जानेगा जिसकी अक्सर तुम्हारे फिक्रमंद कसमें खाया करते थे क्या……..तुम हार जाओगी उन उसूलों से... जिसकी कभी तुम्हें परवाह नहीं रही या फिर दीवार के सहारे चांदी के फोटो फ्रेम में लगी अपनी किसी तस्वीर को गौर से देखकर बड़े नजाकत से…अपने जुल्फों को संवारकर थोड़ा मुस्कुराओगी ........और........एक बार फिर वैसे ही इतराओगी ….जैसे पहले कभी.

'अभी बच्चा है तू'

एक बार फिर कई पुरानी चीजें  याद आ गईं दूध वाली सूतुही बचपन की लंगोटी काजल का कजरौटा बिल्ली वाली टोपी खेलने की फिरंगी गुल्ली डंडा का मैदान हर साल का इम्तीहान पापा की मार अम्मा की दुलार याद हैं कई चीजें तो बहुत भूल गया हूं लेकिन अम्मा अब भी कहती है... बच्चा है तू.
मेरे मन से निकल कर तुम कुछ पन्नों में सिमट गई हो हम चाहते थे खुश रहना पर अब जमाना खुश है क्योंकि तुम मेरे पास ना होकर मेरे पन्नों में कहीं गुम हो
बहुत छोटे-छोटे से ख्वाब जोड़े हमने ना जाने कब खुद को फलक पर पाया खुदा से मांगा था एक छत सर छिपाने को ना जाने कब ताजमहल पाया

मेरी खामोशी...तेरी खामोशी से

मेरी खामोशी.... कितना कुछ कहना चाहती है तुमसे... तुम हो कि सुनती ही नहीं बंद जुबान से ही सही मगर दिल ने कितनी बातें की है तेरे दिल से... समझती हो मगर समझती ही नहीं पूछो तो कभी ठहर के दो पल खुद से तेरी आंखों ने ना जाने कितना कुछ बताया... जाने-अंजाने में मेरी आंखों से फिर भी तुम खामोश हो अब कब तक खुद को खुद से जुदा रखोगी... अपनी बंद नजरों में ही मुझे छिपा रखोगी तेरी खामोशी कितनी कुछ कहती मुझसे तुम सुनती हो... मगर क्यों बोलती हो नहीं.