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Showing posts from 2020
काश तब मैंने ज़िन्दगी के पन्नों पर  पेंसिल से लिखा होता तो पन्नों को फाड़ने की ज़रूरत  क्यों होती। उसे मिटा कर  फिर से लिखता 

तू दर्द को मेरे कम न कर

तू दर्द को मेरे कम न कर अब मैं और तुम को हम ना कर रख ले तू, जो जितना चाहे क्या मुझे मिला तू गम ना कर मैं चुन लूंगा मोती आंसू से बस मेरी परवाह अब ना कर जा वहां जहां सजी महफ़िल तेरी चुन उसको जो मंज़िल तेरी

था जो अब है नहीं......

था जो अब है नहीं फूल डाली पर कहीं टूट कर बिखरा पड़ा है वो ज़मीं पर वहीं कौन जाने, हाल उसका  किसको है परवाह उसकी ना रहा वो रंग उसका ना रही खुशबू वही