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Showing posts from April, 2018

हम आउट ऑफ फैशन नहीं हैं....

यूं तो हम आउट ऑफ फैशन हो चले थे, जिस तरह से डीजिटल इंडिया में एलईडी और चाइनीज लाइटों ने हमसे हमारा हक छीना था, हमें लगा था कि हमारे दिन अब लद गए क्योंकि रही सही कसर इनवर्टर और सरकारों ने गांव गांव बिजली पहुंचा कर पूरी कर दी है. लेकिन कहते हैं ना हर डॉगी का दिन आता है. सो हमारा भी आया और ऐसा आया कि क्या नेता क्या सितारे, क्या दिन क्या रात सबने हाथों हाथ लिया. और इतना प्यार किया कि बस पूछो मत आईपीएल मैच छोड़कर इंडिया गेट पर लोग हमें संभालते रहे. हमने भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी हम बुझते रहे वो जलाते रहे, मजे कि बात तो सुनिए हमारी अचानक बढ़ी डिमांड देखकर मीडिया वाले भी पीछे पड़ गए और पूछने लगे कि कैसा महसूस कर रही हूं. लेकिन बड़े पत्रकार को देखकर मैं मारे शर्म के बुझ गई, भला हो पम्मी आंटी का उन्होंने झट से अपने गुची वाले बैग से लाइटर निकाला तब जाकर जान में जान आई, और फिर बगल में सेल्फी ले रही मोना मैडम के कैमरे में देखकर हमने भी खुद को संभाला और थोड़ी चमक बढ़ा ली. वैसे तो ज्यादातर हमारे बिरादरी के लोग बनिये की दुकान में तेल के डब्बों के नीचे कहीं दबे पड़े होकर दिपावली या फिर अपनी आखिरी

कचोटता है मन मेरा, पूछता ये प्रश्न है...

कचोटता है मन मेरा, पूछता ये प्रश्न है खाक में जो मिल गए, क्या कभी वो फूल थे दर्द भी कराह के, थक गया था अंत में हार गई सांस थी, जो लड़ रहे वो स्वप्न थे निगल लिए गए थे जो, हवस की भूख में क्या सो गए हैं कब्र में,  सुकून से गहरी नींद में