तुम अच्छी लगती हो मुझे उन फूलों से भी ज्यादा जिन पर भौंरे मंडराते हैं तुम अच्छी लगती हो मुझे उन तारों से भी ज्यादा जो चांदनी रात में टिम-टिमाते हैं तुम अच्छी लगती हो मुझे उन हवाओं से भी ज्यादा जो दिल को छू जाती हैं तुम अच्छी लगती हो मुझे उन धुनों से भी ज्यादा जो अक्सर हम गुनगुनाते हैं तुम अच्छी लगती हो मुझे उस रोशनी से भी ज्यादा जो काली रात के बाद आती है तुम अच्छी लगती हो मुझे उस सुकून से भी ज्यादा जो तेज प्यास के बाद आती है तुम अच्छी लगती हो मुझे उस बारिश से भी ज्यादा जो सूखी धरती को सरसाती है तुम अच्छी लगती हो मुझे उन सपनों से भी ज्यादा जो अधूरे ही रह जाते हैं तुम अच्छी लगती हो मुझे मेरे उन शब्दों से भी ज्यादा जो मैं तुम्हारे लिए लिखता हूं तुम अच्छी लगती हो मुझे उस उम्मीद से भी ज्यादा जिसके पूरे होने का इंतजार है मुझे.... तुम अच्छी लगती हो मुझे मेरे इस सवाल से भी ज्यादा कि तुम मुझे क्यों इतनी अच्छी लगती हो ?