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Showing posts from May, 2017
जब साथ तेरा, साथ है, मेरे सर पर तेरा हाथ है, तो रोकेगा कौन ? मेरा रास्ता... चाहे ज़िन्दगी से जंग हो,  या ज़िन्दगी ही जंग हो, हार हो या जीत हो, चाहे ना किसी से मीत हो, साया तेरा बस साथ हो, चाहे जितना भी सूरज पास हो, ना थकूंगा मैं...ना रुकूंगा मैं छाये में तेरे बढ़ता रहूंगा मैं दुश्मन भी मेरा क्या करेगा? जब साथ मेरे तू रहेगा, हार भी मानेगा हार बस प्यार तेरा मेरे पास हो, Thanks my dear Brother.
शब्द सच्चे हैं, तो झूठे भी... गढ़ो चाहे जैसे, स्वार्थ या निस्वार्थ भाव से... कहो चाहे जैसे, शब्दों की जुबां हैं.... तो बेजुबां भी, भावनाएं गूंगी हैं... पर निशब्द नहीं, दुआओं के भी शब्द हैं... बदुआओं के भी।
खता जिससे भी हुई.... सजा हम दोनों पाएंगे ! तुम रुक जाओगी... तो आंसू रुक जाएंगे !