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जो पता है, तो नाम-पता पूछते क्यों हो जो कहना है, साफ साफ कहते क्यों नहीं।
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अब क्या नाव  लहरों को रस्ता बताएगा जो खुद को सरे बाजार बेच आया वो मेरी कीमत लगाएगा...
जरूर हारा होगा वो भी मुहब्बत में... जिसने सारी दुनिया जीती है।

वो कहते हैं कि मुझको भूल जाएंगे...

वो कहते हैं कि मुझको भूल जाएंगे... मगर अपनी हिचकियों को कैसे रोक पाएंगे। बेहतर होगा कि वो मुझसे ये डील कर लें ना वो मुझको याद आयेंगे  और ना मुझको  भूल पाएंगे।

अपने हिस्से की धूप...

अपने हिस्से की धूप अपने हिस्से की हवा अपने हिस्से की बारिश सब कुछ मैं तेरे नाम  कर देना चाहता हूं। बस, जब बसंत का  मौसम आए तुम मेरे करीब रहना।